Wednesday, March 25, 2015

तेज़ाब, जिंदगी और उम्मीद : एक बातचीत रितु के साथ

जिंदगी में बहुत से मोड़ आते हैं, बहुत से लोगों से मुलाक़ात होती है- लेकिन कुछ मुलाक़ात खास होती है जिन्हें आप भूल नहीं सकते| रितु से मिलना वैसा ही था| रितु के चेहरे में एक मासूमियत थी- जिसे तेज़ाब भी छीन ना सका| सोलह साल की उम्र में तेज़ाब को सहना मुश्किल होता होगा| उम्र के किसी भी पड़ाव पर मुश्किल होगा| उसके साथ जीना और भी मुश्किल| रितु जीती है| मुश्किल होता है उसकी ना रुकने वाली हँसी को समझना, उसकी बेहद खूबसूरत मुस्कान को देखना- ये अद्भुत हैं| 

रितु ‘स्टॉप एसिड अटैक्स’ के साथ जुड़ी है| फिलहाल वो आगरा शहर में रह रही है| स्टॉप एसिड अटैक्स कैम्पेन ने आगरा में ‘शीरोज़ हैंगआउट’ नाम से एक कैफे की शुरुआत की है- जहाँ एसिड से लड़ने वाली लड़कियाँ सबकुछ संभालती हैं| ये बातचीत आगरा शहर में शीरोज़ हैंगआउट के अंदर ही हुई| क्योंकि मैं भी स्टॉप एसिड अटैक्स से जुड़ा हूँ, और रितु से एक-दो दफा पहले भी मिल चुका हूँ, इसलिए बहुत आराम से बातचीत कर पाया|

बिना काट-छांट के प्रस्तुत है पूरी बातचीत: 



निहाल: रितु, आपको बाइक चलाना बहुत पसंद है?

रितु: हाँ| मतलब एक दिन यहाँ कैफे में वो लोग आये थे- बुलेट ग्रुप बाइक वाले- बहुत सारे लोग| एक्टिवा तो चलाने मुझे आता ही है| मेरा मन था कि मैं बाइक सीखूंगी| गाड़ी बाद में सोचेंगे (हँसते हुए), गाड़ी की ज़रूरत अभी नहीं है| अच्छा लगता है बाइक चलाना|

निहाल: तो तुमने बुलेट चलाया?

रितु: नहीं... सिर्फ बैठ कर फोटो खिचवाया! (ज़ोर से हँसते हुए)

निहाल: अरे! ये तो बढ़िया है| और जितना मैं जानता हूँ, तुम रोहतक से हो...

रितु: हाँ|

निहाल: रोहतक शहर कैसा है? वहाँ के बारे में कुछ बताओ?

रितु: अच्छा है| सबको अपने अपने शहर अच्छे लगते हैं| एक बार अभिलाष भाई, कनिका दी, रूपा दी, मैं, हम सब गए थे...

निहाल: रोहतक गए थे?

रितु: हाँ| हम चार लोग गए थे| तो होता है ना- अपने शहर में आ गए, आगे-आगे चलते हैं...

निहाल: रोहतक की डॉन हो तुम!
मुस्कुराती रितु


रितु: (हँसते हुए) नहीं ऐसा नहीं है| मतलब, अब वहाँ के रास्ते पता हैं तो चल रहे हैं आगे-आगे| तो अभिलाष भाई बोलते हैं, “देखो, अपना शहर आ गया तो टशन आ गया|” (मुस्कुराती है)

अच्छा लगता है घर वापस जाकर| अभी मेरे केस में डिसिज़न आया तो, मैं गयी थी| मैंने दुबारा से खेलना ट्राई किया...

निहाल: तुम बास्केटबाल खेलती थी ना?

रितु: नहीं, वोलीबाल| तो दुबारा ट्राई किया- ढाई साल बाद, 26 दिसम्बर को- तो मेरे दोनों हाथ में स्वेल्लिंग आ गयी| मैं केस के सिलसिले में रोहतक गयी थी| काफी बीज़ी रही वहाँ| मीडिया वाले लगातार आते रहे| फिर दिल्ली में भी एक डॉक्टर पर एसिड अटैक हुआ था| उस कारण से भी दिल्ली में काफी काम था कैम्पेन के लिए|

निहाल: रोहतक में तुम वोलीबाल कहाँ खेलती थी? वहाँ कोई अकादमी है?

रितु: वहाँ एक गवर्नमेंट टीचर हैं, जो गेम खिलाते थे| तो एक ग्राउंड बना हुआ है| पहले स्कूल में था...

निहाल: कौन से स्कूल में पढ़ती थी?

रितु: सैनी हाई स्कूल...

हम बातचीत शीरोज हैंगआउट कैफे में कर रहे थे| तभी एक टूरिस्ट अचानक से आ जाता है| “वेयर इज द ए.टी.एम्?” वो मुझसे और रितु से पूछता है| वहाँ मौजूद हमारे दोस्त प्रणव उसको रास्ता बतलाते हैं| “राईट हैण्ड साइड... थोड़ा सा चलते हुए”, रितु भी रास्ता बतलाती है|
उनके जाने के बाद:

निहाल: तो कौन सा स्कूल था?

रितु: सैनी हाई स्कूल| वहाँ पर ग्राउंड था| 

निहाल: तो तुम रितु सैनी- इसलिए सैनी हाई स्कूल में पढ़ती थी! 

रितु: (हँसते हुए) अरे, ऐसा नहीं है| उससे पहले मैं एस.डी. हाई स्कूल में भी थी| कुछ टाइम तक वहाँ थी| लेकिन हम पाँच भाई-बहन थे| मम्मी-पापा भी प्राइवेट स्कूल में ज्यादा नहीं पढ़ा पाए| गवर्नमेंट भी अच्छा था| 

निहाल: हरयाणा के बारे में हम बहुत कुछ सुनते हैं, जैसे वहाँ लड़कियों को बहुत दिक्कत होती है| मुझे बहुत नहीं पता| तो रोहतक में भी ऐसा था क्या? वोलीबाल खेलना मुश्किल तो होता होगा? 

रितु: नहीं ऐसा नहीं है| बहुत सी लड़कियाँ खेलने जाती हैं| कोई नहीं रोकता| कौन से माँ-बाप अपने बच्चे को आगे बढ़ने से रोकेंगे?

निहाल: लेकिन हरयाणा के बारे में ऐसा सुनते हैं| हो सकता है कि गलत भी हो...

रितु: हाँ ये भी खबर आती है... मैं तो रोहतक डिस्ट्रिक्ट में रहती थी| गाँव टाइप नहीं है- मोस्टली शहर ही है| तो मैंने जहाँ तक देखा कोई नहीं रोकता| 

निहाल: अच्छा..

रितु: जो गाँव में लड़कियाँ हैं उनको सूट पहनना, घर का काम करो- ये सब होता है| मेरे मामा लोग हैं, तो वो मेरी बहनों को बाहर नहीं जाने देते| ये तो है| अब है मेरे मामा के उधर, कि मेरे बहन कि शादी है तो अपनी बेटियों को लेकर नहीं आयेंगे| 

निहाल: कहाँ लेकर नहीं आयेंगे?

रितु: मतलब शादी में लेकर नहीं आयेंगे हमारे घर| लड़के-लड़के सिर्फ आते हैं|

निहाल: तो ऐसी छोटी-छोटी चीज़ों में दिखता है ना ऐसा मर्द वाला समाज|

रितु: लेकिन हमारे पापा ऐसे नहीं हैं| हमें जहाँ जाना हो जा सकते हैं| हम दोनों बहनों को साथ ही लेकर चलते हैं|

निहाल: घर में कौन-कौन हैं तुम्हारे?

रितु: मम्मी हैं, पापा हैं, एक बहन, तीन भाई...

निहाल: और तुम...

रितु: हाँ और मैं| और भाभी हैं, उनके दो बच्चे भी हैं (हँसते हुए)| दूसरे वाले भाई की अभी जॉब लगी है गवर्नमेंट में|

निहाल: किस चीज़ में?

रितु: पता नहीं| वो लोग कुछ बोलते हैं| ज़मीन वाला कुछ है| मुझे पता नहीं| लेकिन जॉब लगा है, इतना पता है (ज़ोर से हँसते हुए)| उसका ट्रेनिंग चल रहा है|

मेरे लिए कुछ खाने का सामान आ जाता है, जो मैंने आर्डर कर रखा था|

रितु: उधर (एक खाली टेबल की तरफ इशारा करते हुए) चलकर खा लेते हैं| यहाँ (कैफे काउंटर पर) खायेंगे तो ठीक नहीं लगेगा|

निहाल: हाँ, चलो|

हम खाली टेबल पर पहुँचते हैं 

रितु: क्या बात कर रहे थे हम?

निहाल: मैं भी भूल गया! 

रितु: (हँसते हुए) कैसे इंटरव्यू लेते हो! 

निहाल: अरे, ऐसे ही बातचीत होती है ना| तो तुम अपने बड़े भईया के बारे में बता रही थी...

रितु: हाँ, उनकी शादी हो गयी| उनको दो बच्चे हैं- बेटी फोर इयर की है, बेटा टू इयर का है| हो गयी फाइव-सिक्स इयर उनकी शादी को| भाई बहुत छोटे थे जब उनका शादी हो गया- ट्वेंटी टू या ट्वेंटी वन के थे जब उनकी शादी हुई| 

निहाल: उधर शादी जल्दी हो जाती है?

रितु: पता नहीं| मेरा छोटा भाई भी है...
बातचीत के दौरान 

निहाल: उसकी भी हो रही है?

रितु: नहीं, वो ट्वेंटी फोर के हैं| वैसे इतने में तो हो जाता है उधर| ट्वेंटी वन की लड़की होती है तो सोचने लगते हैं कि शादी करना है, लड़का देखने लग जाते हैं| 

निहाल: अभी तो तुम काफी जगह चली गयी- आगरा में रह रही हो...

रितु: हाँ, दिल्ली में थी फाइव मंथ| 

निहाल: हाँ, उधर ही तो हम मिले थे ना सबसे पहले- छाँव में| तो अभी तुम इतनी जगह गयी, क्या फर्क दिखता है तुम्हें?

रितु: चेंज आ रहा है लोगों में| लोगों कि सोच बदल रही है| अब लोग आते हैं, सपोर्ट करते हैं हमारा| अभी जंतर-मंतर पर धरना था, उसमे भी काफी लोगों ने सपोर्ट किया| बहुत नए लोग जुड़े| 

निहाल: तुम्हारे केस में जो फैसला आया है, क्या है वो? 

रितु: तीन को लाइफ टाइम, दो को टेन-टेन इयर का सज़ा हुआ है| 

निहाल: तुमपर जो अटैक हुआ था, वो कब हुआ था?

रितु: 26 मई, 2012|

निहाल: ये जो अटैक हुआ, किसी एक ने किया या ज्यादा लोग थे?

रितु: 18 लोगों का ग्रुप था| 

निहाल: अठारह लोग का?

रितु: किसी से बाइक लिया, किसी से कुछ लिया- तो टोटल अठारह लोग थे| जब पकड़े गए तो टेन को छोड़ दिया गया था| टेन-इलेवन को...

निहाल: क्यों?

रितु: क्योंकि किसी को नहीं पता था कि क्या है, किसी को कुछ नहीं पता था, ऐसा सा कुछ सीन था, इसलिए| इसमें से एक फाइव-सिक्स मंथ बाद हाई कोर्ट से जमानत पर चले गए थे| एक लेडीज़ भी थी| 

निहाल: कौन थी वो? 

रितु: मतलब वो दूसरी टाइप की थी- बहुत गन्दी थी| अपने पति को भी मरवा दिया था- ऐसा सुनने में आया था...

निहाल: जो मेन इंसान था, उसका नाम क्या था?

रितु: राम निवास| 

निहाल: राम निवास अभी कहाँ है?

रितु: उसको भी लाइफ टाइम हुआ है| 

निहाल: राम निवास की उम्र क्या होगी?

रितु: अभी वो फोर्टी या फोर्टी-वन का है| पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था| लाइक करता था मुझे..

निहाल: मतलब जब उसने अटैक किया तो वो अर्तीस साल का रहा होगा...

रितु: हाँ दो साल पहले इतने का ही रहा होगा|

निहाल: उसने कहाँ देखा तुम्हें?

रितु: मेरी बुआ का लड़का था वो...

(कुछ देर की चुप्पी)

निहाल: मतलब घर में आना-जाना था उसका...

रितु: हाँ, उनकी बहन को कैंसर था| तो मेरे मम्मी-पापा ने उनका सबकुछ किया था| वो छोड़ के चले गए थे हमारे घर| मेडिकल से लेकर सबकुछ| 

निहाल: राम निवास की बहन?

रितु: हाँ| मेरे मम्मी-पापा ने किया सबकुछ| उसकी बहन के सर के सारे बाल गिर गए थे|

निहाल: राम निवास ने तुम्हें पहले परेशान किया था?

रितु: वो कहता था कि तुम मेरी रिलेशन में नहीं होती तो शादी कर लेता, तुम्हें भगा कर ले जाता...

(प्रणव आ जाता है...)

प्रणव: खाना कैसा बना है? (मुस्कुराते हुए)

रितु: टेस्ट करके देख लो! क्रिस्प नहीं है|

प्रणव: मज़ा नहीं आया| (टेस्ट करते हुए)

रितु: जब भी उसका फोन आता था ना तो सबसे बात करता था| मम्मी से, पापा से| कहता था कि रितु से बात करना है तो मैं मना कर देती थी कि मुझे नहीं बात करना है| मैंने उससे बात करना ही छोड़ दिया था| 

निहाल: इस कारण उसने ये स्टेप लिया... लाइफ टाइम हुआ तो अब वो जेल में है?

रितु: हाँ, वो ढाई साल से जेल में है|

निहाल: तुम अब इस पूरे कैम्पेन से जुड़े हो- स्टॉप एसिड अटैक मूवमेंट से...

रितु: मैं स्टार्टिंग से नहीं जुडी थी| मुझे सेवेन मंथ हुआ| 

निहाल: ये पूरा एक्सपीरियंस कैसा रहा है?

रितु: बहुत अच्छा| पहले मैं फेस कवर करके चलती थी| कैम्पेन से जुड़ते ही मैंने फेस कवर करना छोड़ दिया| और मैं रेड कलर पहनना छोड़ दिया था, क्योंकि रेड कलर पहना था मैंने उस टाइम... मैंने रेड कलर का कपड़ा खरीदा था 18 मई को- मेरी भतीजी का बर्थडे आता है उस दिन| मैंने वो टॉप उसके बर्थडे के लिए रखा था| लेकिन उसके बर्थडे के दिन ब्लैक पहना था| लेकिन मैंने सोचा नया टॉप है, नया टी-शर्ट है, इसको लेकर फोटो खिचवा लेती हूँ| मुझे फोटो खिचवाने का बहुत शौक था (मुस्कुराते हुए)...

निहाल: अभी भी तुम्हें खूब शौक है फोटो खिचवाने का मैंने देखा!

रितु: (ज़ोर से हँसती है) हाँ| मैंने वो टी-शर्ट पहना, फोटो खिचवा कर चेंज भी कर लिया| तो मैंने उस टॉप में बस एक फोटो खिचवाया था, और उसके बाद मैंने उसको 26 को ही पहना था| लेकिन उस ड्रेस को पहन कर कहीं बाहर जाना तो फर्स्ट टाइम ही था|

निहाल: तुम कहीं जा रही थी?

रितु: मैं गेम के लिए जा रही थी| 

निहाल: वोलीबाल के लिए| तुम वोलीबाल हरयाणा के लिए खेलते थे?

रितु: नहीं, मैंने स्टेट लेवल खेला है| चाहती थी की नेशनल खेलूँ| एक अच्छी प्लयेर बनूँ...

निहाल: हरयाणा में मुश्किल है लड़कियों के लिए खेलना?

रितु: बहुत सारी लड़कियाँ हैं...

रमेश: लेकिन सबसे अलग रितु ही है! (वो किसी काम से रितु के पास आते हैं| रमेश शीरोज पर काम करते हैं| )

निहाल: हाँ, वो तो है|

रितु: (हँसते हुए) मुश्किल भी है, और नहीं भी है|

निहाल: हाँ, तुम्हारे साथ भी तो कई लड़कियाँ खेलती ही होंगी|

रितु: मेरे ऊपर अटैक होने के बाद मेरे ही गली की दो लड़कियों ने छोड़ दिया खेलना| हम तीन लड़कियाँ जाती थी खेलने...

निहाल: छोड़ दिया? 

रितु: एक का तो एकदम बंद हो गया था| जो दूसरी थी, कविता, उसने अब स्टार्ट करा है फिर से जाना| 

निहाल: उसने छोड़ दिया, या उसके परिवार वाले भी डर गए थे?

रितु: शायद ऐसा ही रहा होगा|

स्टार्टिंग में... पहले तो लोग बहुत ही अजीब बीहेव करते थे| वैसे बोलते थे सब प्यार से, लेकिन एक अलग ही चेंज दिखता है ना कि कैसे बातें कर रहे हैं| लेकिन अब जबसे कैम्पेन से जुड़ी हूँ, काम करती हूँ अच्छे से, कई बार फेस ओपन करके जाती हूँ- एकदम बिंदास होकर, तो लोगों का बोलने का ढंग भी चेंज हो गया है दुबारा से|

निहाल: कितना अंतर दिखता है तुम्हें अपने लाइफ में- एक तो अटैक से पहले, दूसरा अटैक के तुरंत बाद, और अब तीसरा, कैम्पेन से जुड़ने के बाद? तुम वोलीबाल काफी अच्छा खेलती थी...

रितु: ऐसा भी नहीं कह सकते कि बहुत अच्छी प्लयेर थी| ठीक थी, पर ग्राउंड में सिक्स में तो थी ही! (हँसते हुए)

निहाल: हाँ, अब बहुत सारे लोगों के लिए तो बहुत बड़ी बात होती है ना कि कोई खेलता भी है, और तुम तो इतना अच्छा खेल रही थी|

रितु: मेरे भाई लोग हमेशा पूछते थे कि तू ग्राउंड में खेलती है या एक्स्ट्रा में बैठती है| हमारे गेम में वैसे प्लयेर बारह होते हैं, लेकिन खेलते सिक्स हैं|

निहाल: और तू ग्राउंड में खेलती थी! 

रितु: लिफ्टिंग करती थी मैं| हम सब भाई-बहन खेलते थे...

निहाल: सबलोग वोलीबाल खेलते थे?

रितु: तीनों भाई खो-खो खेलते थे| सबसे छोटा वाला, जो मेरे से बड़ा है, वो तो ऑल इण्डिया खेल चुका है| 

निहाल: तुम सबसे छोटी होगी अपने घर में?

रितु: हाँ, मैं सबसे छोटी हूँ| एक दिन उसके दोस्त ने छिप कर देखा होगा मुझे खेलते हुए...

निहाल: किसने?

रितु: छोटे वाले भाई के दोस्त ने... टूर्नामेंट चल रहा था किसी के साथ रोहतक में ही... बोला होगा भाई, जा एक बार देख कर आ जा (हँसते हुए)! एकदम फॅमिली की तरह है वो| जब मेरे ऊपर अटैक हुआ था तब भी वो सुबह दस बजे आता और रात दस-ग्यारह बजे जाता| मेरी आँख क्लीन करनी होती तो मैं कहती या तो मेरा भाई रवि करेगा, या नितिन भाई करेगा- और कोई हाथ नहीं लगायेगा| 

जब मैं पहली बार टूर्नामेंट खेलने बाहर गयी थी- सोनीपत में पहला टूर्नामेंट था...

निहाल: कितने टूर्नामेंट खेलने गयी इस तरह से?

रितु: बहुत सारे| नहीं पता|

निहाल: कितने साल खेला?
आँखों से बात करती रितु 

रितु: तीन साल खेला| एक साल में चार टूर्नामेंट खेलने तो पक्का बाहर जाती थी| सोनीपत में सेकंड प्लेस आया था| हमारी टीम जब भी जाती तो हार कर आती थी| मेरे ग्राउंड से हम तीन लड़कियाँ ही गयी थी| सबने बोला कि हार कर ही आओगे| मैंने बोला कि शर्त लगा ले! सेकंड प्लेस आया था| 

निहाल: शीरोज़ के बारे में कुछ बताओ? मैं सुबह से देख रहा हूँ सारे पैसे तुम संभाल रहे हो (रितु हँसती है), एक टीम लीडर की तरह तुम सारे काम कर रही हो यहाँ|

रितु: जब मैं पहले आई थी तो मुझे भी लगता था कि मैं बच्चा सी हूँ| सब बोलते भी थे कि तुम थोड़ी मेच्यौर हो जाओ| 

निहाल: तुम्हें मेच्यौर होना ज़रूरी लगता है क्या? 

रितु: मेरे साथ ऐसा है कि सबके साथ बैठ गए, हँस लिया- काम पड़ा है तो पड़ा है| अब सोच रही हूँ कि सबसे लिमिट में बात करो, तो वो सिरियेस्ली लेंगे| फ्रैंक होकर बात करने पर कोई सिरियेस्ली नहीं लेता|

यहाँ पर अकाउंट देखती हूँ, लाइब्ररी में जो बुक्स बाहर से आती हैं वो देखती हूँ| 

निहाल: यहाँ इतनी सारी किताबें हैं, तुम पढ़ते हो इन्हें?

रितु: इंग्लिश नहीं आता मुझे|

निहाल: हिंदी की किताबें?

रितु: हिंदी की किताबें भी हैं, लेकिन इतना टाइम नहीं होता| पर मुझे इंग्लिश सीखना है| 

निहाल: हाँ, अब तुम इतना कुछ कर रही हो, तुम्हें अब दुनिया घूमना है तो इंग्लिश काम आ जाएगा| (रितु की आँखों से पानी गिर रहा था) ये आँखों से पानी क्यों निकल रहा है इतना?

रितु: पता नहीं| मैंने डॉक्टर को दिखलाया| निकलता ही रहता है कंटीन्यूअसली, थोड़ी-थोड़ी देर में| मैं खुद से साफ़ करती हूँ लगातार, तो मेरे आँख और दर्द करने लगता है, और इसके आस पास के स्किन भी| डॉक्टर कहते हैं कि बाकी सब कुछ- जो आँखों का मूवमेंट होता है, आँसू बनता है, वो सब तो होता ही है| 

निहाल: यानी कि आँख का ही पानी है, नोर्मल है मतलब|

रितु: हाँ, नोर्मल है| (थोड़ा रुक कर) मुझे अच्छा लगता है शीरोज़ में काम करना| शीरोज़ और कैम्पेन के साथ काम करना| पहले मैं खूब मस्ती करती थी| काम कुछ करती नहीं थी| लेकिन जब अकेले बैठती थी तो मेरा ध्यान सीधा उधर ही जाता था-क्यों हुआ मेरे साथ ऐसा...

निहाल: अटैक के काफी लंबे समय बाद भी सोचते रहे इस बारे में?

रितु: हाँ| अब भी मैं जब भी खाली बैठती हूँ तो मेरे माइंड में यही चलता है बस| पर अब, कुछ दिन से, मैं अपने आपको फुलटाइम बीजी रखती हूँ| यहाँ सुबह आ गयी, थोड़ा सेटअप किया...

निहाल: हाँ, मैंने देखा तुमलोग सुबह दस बजे से रात बारह बजे तक यहाँ रहती हो!

रितु: हाँ, रात के बारह बज जाते हैं| बीजी रहते हैं तो अच्छा लगता है| यहाँ से गए, फ्रेश होकर सो गए, सुबह उठते ही फिर यहाँ आ गए| 

निहाल: अटैक के बाद परिवार वालों का क्या रीएक्शन था?

रितु: मेरे परिवार वालों ने मेरा बहुत सपोर्ट किया| परेशान तो थे| मेरे अटैक के थोड़े टाइम बाद पापा को चोट लग गया था- बेड से गिर गए थे वो| पता नहीं क्या था- बेड कितना ही ऊँचा होता है- उस पर गिरे तो उनके हिप्स पर से फ्रैक्चर हो गया था| फर्स्ट ऑपरेशन सक्सेसफुल नहीं हुआ| अभी सेकंड कराया है, वो सक्सेसफुल हुआ है, लेकिन सर्दी इतना है कि... मैं बात भी करती हूँ तो रोने भी लगते हैं वो| तो दुःख भी होता है इस बात का कि पूरे फॅमिली को बांधे हुए थे| वो ही खर्चा चलाते थे, सबकुछ उनके ही हाँथों में था| वो एक साल से बेड पर हैं- एक साल से ऊपर ही हो गया| 

निहाल: घर पर सभी चीज़ों का ख्याल कौन रख रहा है? भाई? 

रितु: भाई हैं| बड़े से छोटे वाला| बड़ा वाल भी अच्छा है बहुत, लेकिन बड़े से छोटे वाला ज्यादा केरिंग है| 

निहाल: तुम अपने घर वालों से मिलते रहते हो ना?

रितु: हाँ, जब भी मेरा मन करता है तो मैं चली जाती हूँ| 

निहाल: और फोन पर बात होती है?

रितु: हाँ| हो जाती है| अब तो थोड़ा बीजी रहती हूँ तो नहीं हो पाती है| कभी मैं कर लेती हूँ, कभी पापा कर लेते हैं| दिल्ली में रोज मैं कर लेती थी| पर अब ऐसा नहीं हो पाता है| सुबह से शाम तक बीजी रहती हूँ| फोन आता है तो बोलती हूँ पापा काम कर रही हूँ, बाद में बात करुँगी| रात में बारह बजे फ्री होती हूँ, तो वो सो जाते हैं| इसलिए बात कम ही हो पाता है|

फोन भी एकदम छूट सा गया है| पहले मैंने मोबाइल लिया तो सारा दिन व्हाट्स ऐप में लगे रहते थे! न्यू-न्यू फोन में तो ऐसा होता ही है (ज़ोर से हँसती है)- चाहे कुछ आये या ना आये| तो फिर अलोक भाई बोले, “ठीक है, ये हो गया तो कुछ और भी देख लो|” अब तो काफी टाइम हो गया| फोन पर ज्यादा देर नहीं रहती| 

(कुछ देर की चुप्पी)

निहाल: तुम्हारी सबसे प्यारी बात बताऊँ क्या है- तुम्हारी स्माइल| सब बोलते होंगे ना?

रितु: (हँसते हुए) थैंक यू| हाँ, दो कस्टमर हैं| दोनों लड़कियाँ हैं| उनकी मम्मी भी आती हैं साथ में| तो वो एक दिन कहती हैं कि मुझे तुम्हारी स्माइल बहुत अच्छी लगती है| वो फेसबुक का पेज भी फोलो करते हैं, तो कहते हैं कि हम ढूँढ़ते हैं कि तुम कौन सी फोटो में स्माइल करते मिलोगी (ज़ोर से हँसती है)|

निहाल: और राहुल (सहारन) ने तुम्हारी फोटो ली है खूब सारी| (कैफे में दीवाल से लगे कई फोटो को देखते हुए मैंने ये सवाल पूछा)

रितु: हाँ, राहुल भाई में ये सब फोटो ली है| अभी तो कैलेंडर का फोटोशूट भी होना है| पहले रूपा दी की डिजाईन किये हुए कपड़े के लिए मॉडल के साथ फोटोशूट होना था| फिर किसी ने कहा कि जब हम सभी मॉडल हैं (सभी एसिड अटैक फाइटर), तो बाहर से किसी मॉडल कि क्या ज़रूरत (ज़ोर से हँसते हुए बताती है)|

निहाल: ये तो अच्छा है ना| तुम्हें पसंद भी है फोटो खिचवाना|

रितु: हाँ| 

निहाल: तुम्हारे फेसबुक पेज पर भी बहुत लोग तुम्हें फोलो करते हैं| तुम खुद से हैंडल करती हो या नहीं करती? 

रितु: मैं रोज उसे देखती हूँ| दिन में एक बार तो पक्का देखती हूँ| पोस्टिंग अलोक भाई करते हैं| 

निहाल: अरे, मुझे लगा वहाँ हम तुमसे बात करते हैं| लेकिन अलोक से भी बात होती है वहाँ!

रितु: मैं भी रोज देखती हूँ ना एक बार| लेकिन बहुत ज्यादा टाइम नहीं दे पाती उसको| बहुत कुछ सोचना भी है|

निहाल: क्या सोचना है?

रितु: मैं ये सोचती हूँ कि रूपा दीदी डीजाईनर के नाम से जानी जाती हैं, मैं भी एक पेंटर के नाम से जानी जाऊँगी| 

निहाल: तो तुम्हें पेंटिंग का शौक है?

रितु: शौक तो मुझे खेलने का था| लेकिन अब मैं नहीं खेल सकती| मैंने दो बार कोशिश की है| अटैक के एक साल बाद पहली बार ट्राई किया था| मेरे फेस पे ही बौल लगा था| मुझे अब बौल नहीं दिखता है| मेरे लेफ्ट आँख की वजह से राईट आँख में भी प्रॉब्लम होता है| 

असीम भाई (असीम त्रिवेदी) कह रहे थे कि कार्टून बनाना सीख लो| मुझे ऐसा लगता है कि मुझे बहुत कुछ सीखना है लेकिन उसके लिए कोई चाहिए तो मुझे प्रोपर टीचर की तरह एक दिन में एक घंटा सिखाये| जैसे स्कूल में, या ट्यूशन क्लास में सिखाते हैं| 

मुझे अब कुछ भी सीखना है| अब... मैं यही चाहती हूँ कि लोग मुझे मेरे काम से जाने| कैम्पेन से जुड़ी हूँ, तो लोग जानते हैं| लेकिन मुझे मेरे काम से जाने| 

निहाल: हाँ बिल्कुल| और मेरे ख्याल से कैम्पेन का पूरा मकसद भी यही है कि हर फाइटर को लोग उनके काम के लिए जाने| 

रितु: हाँ, यही है| मुझे ऐसा लगता है मुझे हर चीज़ के लिए बहुत पुश किया सबने| अब जैसे आप फोटो खीचते हो, मैं बहुत फोटो खिचवाती थी पहले| फिर अटैक के बाद छोड़ दिया| जब कैम्पेन से जुड़ी तो लोगों ने फोटो खीचना शुरू किया| बोला कि अच्छी फोटो है| फिर मेरे अंदर दोबारा से हिम्मत जगी| पहले मुझे लगता था कि मुझसे कुछ भी नहीं हो पायेगा| फिर सबने हर चीज़ के लिए बहुत पुश किया| और अब... करना है सब| 

निहाल: तो तुमने किसी से बात की पेंटिंग सीखने के लिए?

रितु: एक कस्टमर आई थी, वो बहुत अच्छी पेंटर हैं- बहुत ही अच्छी|

निहाल: यहीं आगरा की रहने वाली हैं?

रितु: हाँ| वो सीखाने के लिए भी तैयार हैं| लेकिन अभी कैफे में लोग चाहिए| अभी ठीक से सेट नहीं है कैफे| एक बार रन करने लगा तो हमारे पास बहुत टाइम होगा| 

निहाल: अच्छा, रितु को सबसे ज्यादा क्या पसंद है?

रितु: (ज़ोर से हँसते हुए) मुझे शौपिंग करना बहुत पसंद है| लेकिन अब थोड़ा छुट सा गया है| 

मुझे ना ऐसा लगता है कि दूसरों को कोई हर्ट ना करे| मैं किसी को हर्ट नहीं कर सकती| बहुत से लोग होते हैं वो किसी की टांग खीचने में लगे रहते हैं| एकदम इरीटेट करने वाले बंदे होते हैं| कितना दिल दुखता है| मैं नहीं कर सकती है| सबको चोकलेट कितनी पसंद है- मुझे भी पसंद है| लेकिन मुझे दूसरों को खिलाना ज्यादा पसंद है| 

निहाल: सच में?

रितु: सच में| परसों कोई चोकलेट लेकर आया था| मैंने सबको खिलाया, खुद सिर्फ एक बाईट खाया| उसमे भी मुझे बहुत मज़ा आया| ज्यादा खा भी नहीं पाती हूँ|

निहाल: कौन सी चोकलेट पसंद है तुम्हें?

रितु: (मुस्कुराते हुए) डेरी मिल्क वाली| 

निहाल: तुम्हें घूमना पसंद नहीं? अलग-अलग शहर जाना? 

रितु: पसंद है|

निहाल: आगरा शहर में हो तुम, घूमा नहीं?

रितु: ताज महल गयी सिर्फ| एक और भी जगह गए थे, उसका नाम याद नहीं| ज्यादा टाइम नहीं होता|

निहाल: कैफे किसी भी दिन बंद नहीं होता?

रितु: नहीं| एक दिन का हाफ-डे करने का डिसाइड हुआ था| पर घर में क्या करना है| तो मैं उस दिन भी सुबह-सुबह आ गयी| ऐसा लगता है जहाँ जाएँ साथ जाएँ सबलोग|

आप ये खाओ ना| (फ्रेंच फ्राई के तरफ इशारा करते हुए)

निहाल: नहीं, तुम खाओ| मैंने बहुत खा लिया| ज्यादा खाऊँगा तो मोटा हो जाऊँगा| तुम खाओ| तुम बिल्कुल भी मोटी नहीं होगी| तुम हमेशा से इतने ही दुबले-पतले से हो?

रितु: हाँ| जब मेरा बहुत वजन भी होता था तो थर्टी-फाइव किलो से ज्यादा नहीं हुआ| अभी तो थर्टी-नाइन की हूँ|

निहाल: बस थर्टी-नाइन! उम्र कितनी है तुम्हारी?

रितु: नाइंटीन ईयर्स|

निहाल: बस उन्नीस साल की हो तुम?

रितु: हाँ, क्या हुआ?

निहाल: नहीं, मुझे पता नहीं था| तुम तो बहुत छोटी हो अभी| पढ़ाई क्या किया तुमने?

रितु: मैंने टेंथ किया| 

निहाल: उसके बाद?

रितु: अटैक हो गया था|

निहाल: अटैक के बाद पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं?

रितु: मुझे देखने में प्रॉब्लम होता है|

निहाल: आगे पढ़ाई करने का सोचा है?

रितु: देखेंगे|

निहाल: उन्नीस साल की हो| पढ़ाई ज़रूर करना...

रितु: (हँसते हुए) हाँ| मुझे बस इंग्लिश सीखना है, और कुछ नहीं|

निहाल: इंग्लिश तो तुम सीख लोगी आराम से| 

(कुछ देर बाद)

रितु: अच्छा, आप और भी लोगों से बात कर सकते थे| आपने मुझसे ही बात करने का क्यों सोचा? आपको किसी ने बोला?

निहाल: मुझे किसी ने बोला नहीं| मैंने खुद से सोचा| जब पिछली बार हम आये थे ना तुम्हारे घर (मैं दो महीने पहले एक रात के लिए रितु और बाकी फाइटर्स के आगरा वाला फ्लैट पर रुका था किसी काम के वजह से), तो मुझे उस वक्त लगा कि तुम्हे स्माइल इतनी प्यारी कैसे है| हम सभी के जीवन में कुछ ना कुछ होता है, और उसके कारण हम उदास रहते हैं| लेकिन तुमने हम सबसे बहुत ज्यादा कुछ देखा है, बहुत कुछ झेला है| और उसके बाद इतनी खूबसूरत स्माइल! तुम्हारी स्माइल मुझे बहुत इंस्पायर करती है| और इस पर तो कोई भी फ़िदा हो सकता है!

रितु: (हँसते हुए) थैंक यू!
शीरोज़ हैंगआउट कैफ़े को संभालती रितु 

निहाल: तुम्हारी फेवरेट फिल्म कौन सी है?

रितु: विवाह| अच्छी लगती है मुझे| वैसे मैं मूवी बहुत कम देखती हूँ|

निहाल: और फेवरेट हीरो कौन है?

रितु: सलमान खान! (हँसते हुए)

निहाल: हाँ, ये सब तो इंटरव्यू में पूछना होता है! और फेवरेट हेरोइन कौन है?

रितु: कैटरीना कैफ| और थ्री इडियट्स फिल्म भी पसंद है| 

निहाल: अरे वो तो मुझे भी बहुत पसंद है|

रितु: कितना अच्छा है ना| मैं मिलना भी चाहती हूँ उससे... कौन है वो- आमिर खान ना?

निहाल: हाँ|

रितु: यहाँ पर आने वाला था, फिर आ नहीं पाया| 

निहाल: तुम अभी आगरा लंबे टाइम के लिए हो?

रितु: हाँ| अभी तो लंबे टाइम के लिए हूँ| आगे का कुछ सोचा ही नहीं है| बस मैंने ये सोच लिया है कि कुछ करके दिखाना है| उनको सज़ा हुई है लेकिन उन्होंने सोचा होगा कि ये घर में बैठ जाएगी या मर जाएगी| मुझे अपने काम से ऐसा दिखाना है कि तूने मेरे साथ जो कर दिया सो कर दिया लेकिन अब भी मैं कुछ कर रही हूँ, और मेरा नाम है| और उसको थैंक यू बोलूँगी कि तूने मेरे साथ ऐसा किया| अच्छा कर दिया मेरे साथ- ठीक है... (कुछ देर की चुप्पी)

निहाल: काफी गुस्सा भी आता था कभी?

रितु: स्टार्टिंग में मैं सोचती थी कि इससे अच्छा गोली मार देता, या जान से मार देता तो अच्छा रहता| इस फेस को लेकर नहीं जीना पड़ता| लेकिन आज इस फेस पे बहुत... (चुप हो जाती है)

निहाल: अभी जो पिछला कैम्पेन था हंगर स्ट्राइक का, उसमे हर जगह तुम्हारा ही चेहरा था| मैंने तुम्हारे चेहरे को ही अपने फेसबुक का प्रोफाइल फोटो बनाया था| 

रितु: (मुस्कुराते हुए) हाँ, प्रोफाइल पिक्चर सब लोगों ने मेरा ही लगा रखा था| 

निहाल: अब हर कोई अपना चेहरा तुम्हें बनाना चाहता है| 

रितु: अच्छा है| लोगों की सोच चेंज हो रही है| बस यही सोचा है कि हर एक बंदा चेंज हो जाए, अच्छा सोचे सबके लिए... जानते हो आप, मुझे ऐसा लगता है ना कि मैं हूँ, आप हो, प्रणव भाई हैं (शीरोज़ के मैनेजर, जो हमसे बस थोड़ी दूर बैठे थे), ये लोग अच्छे हैं ना, तो सामने कोई गलत बंदा भी होगा तो उसको भी ठीक कर देंगे| अभी तीन-चार दिन पहले एक कस्टमर आया| उसने मेरे से काफी बातें की| फिर उसने बोला कि वो यहाँ से बहुत कुछ सीख कर जा रहा है| मैंने नहीं सोचा था ऐसा भी होता होगा| 

तो, आपने बस मेरी स्माइल देख कर इंटरव्यू ले लिया? (हँसती है)
आगरा शहर में शीरोज़ हैंगआउट 

निहाल: मैंने इंटरव्यू कहाँ लिया, हमने तो बातें की| बस इसको बिना काटे-छाँटें लिख दूँगा| 

रितु: आप जब लिख लेना तो मुझे भी देना|

निहाल: तुम्हें तो सबसे पहले| फिर तुम अपने पेज पर शेयर करोगी ना!

रितु: (हँसते हुए) हाँ, ज़रूर|

निहाल: तो आप कुछ कहना चाहती है बाकी लोगों से?

रितु: हाँ, मैं एक मैसेज देना चाहती हूँ और सर्वाइवर्स के लिए| बहुत सी सर्वाइवर अभी भी हैं जो बाहर नहीं आ रहीं हैं| उन्हें बाहर आना बहुत ज़रूरी है| अपने हक के लिए लड़े- इस समाज से लड़े| अपने लिए लड़े| कोई एक इंसान स्टेप उठाता है तो बाकी और चार लोगों के लिए भी सफर आसान हो जाता है|

निहाल: बिल्कुल तुम्हारी तरह| 

रितु मुस्कुरा देती है |
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बातचीत हमारी और भी कुछ देर चली| इस बातचीत से सीखने को काफी कुछ मिला| कुछ मौके ऐसे होते हैं जब आप इंसानियत पर से भरोसा खो चुके होते हैं| लेकिन फिर, रितु के जुबान से इतनी उम्मीद भरी बातें सुन कर जिंदगी से प्यार सा हो जाता है| बहुत मुश्किल है जिंदगी में ख़ूबसूरती तलाशना- लेकिन हम सभी अंततः वही तो कर रहे होते हैं| रितु ने सिखाया कि जीवन किस कदर खूबसूरत है| 
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An edited English version of the interview was also published on LokMarg on February 3, 2015
Permalink: http://lokmarg.com/life-hopes-and-acid-in-conversation-with-acid-attack-fighter-ritu/

English version of the interview on this blog is available here:
http://nihalparashar.blogspot.in/2015/02/life-hope-and-acid-conversation-with.html

1 comment:

  1. RITU tum ho real fighter.
    hum girls k liye bhut bda xample ho.


    tumhari tarif k liye or sprit k liye mere pass to words nahi hai.
    you are real girl.

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